रात चुप हे मगर चाँद खामोस नही ,

रात चुप हे मगर चाँद खामोस नही ,

कैसे कहु आज फिर होश नही ;

ऐसे डूबे हे उनकी यादों में की ,

हाथ में जाम हे पर पीने का होश नही !

रात चुप हे मगर चाँद खामोस नही ,

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